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2023, VOL. 9 ISSUE 3, PART A

बाल्यावस्था में संतुलित आहार की आवश्यकता

Author(s): Madhu Jaiswal
Abstract:
शैशवस्था मानव जीवन के प्रारंभ का समय माना गया है। यहीं से बालक या बालिका का बाल्यावस्था प्रारंभ होती है। यह अवस्था सभी प्रकार के शारीरिक एंव मानसिक एवं अन्य विकास के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। पोषणमान के आधार पर संतुलित आहार को इस प्रकार पारिभाषित किया जा सकता है: इसमें प्रोटीन, काबोहाड्रेट एवं वसा की मात्रा पचास प्रतिशत जांतव प्रोटीन 1ः4ः1 के अनुपात में रहती है। संतुलित आहार में आहार के संपूर्ण कैलोरीमान का लगभग पचास प्रतिशत सुरक्षात्मक खाद्यपदार्थों, जैसे - शाक-सब्जियाँ, फल, दही, सूखे मेवे, मांस, मछली, अंडा, दूध आदि से मिले तथा शेष खाद्यान्नों, आटा, दलहन, चीनी, शक्कर, तेल तथा घी आदि से। इसमें कैल्सियम तथा फास्फोरस की मात्रा परस्पर 1ः2 के अनुपात में रहना चाहिए। संतुलित आहार में आहार के कुल कैलोरीमान का बारह से चैदह प्रतिशत तक वसा से प्राप्त होना चाहिए। बच्चों को आहारीय पदार्थ हमेशा बदल-बदल कर देना चाहिए, ताकि उसमें उस पदार्थ के लिए रुचि जाग्रत हो।
Pages: 08-10  |  376 Views  161 Downloads


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How to cite this article:
Madhu Jaiswal. बाल्यावस्था में संतुलित आहार की आवश्यकता. Int J Home Sci 2023;9(3):08-10.

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