International Journal of Home Science
2023, VOL. 9 ISSUE 1, PART E
पारिवारिक संरचना में परिवर्तन से बच्चों पर पड़ रहे प्रभावों का विश्लेषण
Author(s): उर्वशी कोइराला, डॉ. दिव्या रानी हंसदा
Abstract:
आधुनिक समय में परिवार के संरचना तथा प्रकारों में परिवर्तन हो रहा है। आधुनिकता, नगरीकरण और बढ़ते उपभोक्तावाद के कारण परिवार विघटित हो रहे हैं। संयुक्त परिवार हमारे समाज की रीढ़ है, वर्तमान में परिवारों का विघटन हमारी पारिवारिक शक्ति को क्षीण कर रहा है। यह हमारी संस्कृति के मूल्यों से मेल नहीं खाता है। परिवार हमारी शक्ति और आंतरिक ऊर्जा का केंद्र है। परिवार से ही हमारे भीतर सद्गुणों का विकास होता है। बच्चों के विकास में परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्चे का निर्माण और विकास परिवार में होता है। वह परिवार में जन्म लेता है और उसी से उसको पहचान तथा अच्छे बुरे लक्षण सीखता है। बच्चे पर प्रथम प्रभाव परिवार के माहौल का ही पड़ता है। यदि पारिवारिक माहौल अच्छा है तो वह तेजी के साथ मानसिक रूप से सबल होने लगता है। उसकी बौद्धिक एवं आध्यात्मिक क्षमता में सकारात्मक परिवर्तन देखा जा सकता है। इसके विपरीत यदि परिवार का माहौल ठीक न हो तो बच्चा टूटने लगता है। उसका विकास अवरुद्ध होने लगता है। वह मानसिक एवं बौद्धिक रूप से कमजोर होने लगता है। उसके स्वभाव में नकारात्मकता आने लगती है। वह उदिग्न रहने लगता है। कभी कभी वह हिंसक भी हो जाता है। जीविकोपार्जन के लिए भटकते लोगों के पास समय का अभाव, बच्चों को परिवार से निकाल कर हॉस्टल तक पहुंचा दिया है। छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें परिवार में अपनों से कदम-कदम पर जो स्नेह और शिक्षा मिलना चाहिए था, उससे वंचित रह गए। जिसके कारण उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों की शिक्षा नहीं मिल पा रही है जिससे बड़े होकर वे पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को समझ नहीं पा रहे हैं।
How to cite this article:
उर्वशी कोइराला, डॉ. दिव्या रानी हंसदा. पारिवारिक संरचना में परिवर्तन से बच्चों पर पड़ रहे प्रभावों का विश्लेषण. Int J Home Sci 2023;9(1):334-336.