2023, VOL. 9 ISSUE 1, PART D
Abstract:वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा मोटे अनाजों का वर्ष घोषित किये जाने के कारण वैश्विक चेतना का ध्यान परम्परागत खाद्यानों की ओर गया है। आज बाजारवाद की दौड़ में सारे खाद्य उत्पाद प्रायः गंेहूं-चावल के खाद्य उत्पादों से भरे पड़े हैं और गेहूं-चावल वर्तमान में स्वास्थ्य की अपेक्षा व्यापार की दृष्टि से उगाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत केवल रासायनिक उर्वरकों और दवाओं का ही अन्धाधुंध उपयोग नहीं हुआ बल्कि जेनेटिकली मोडीफाइड करके अधिक गेहूं चावल उगाकर अधिक पैसा कमाने की प्रवृत्ति ने मनुष्य शरीर के लिए इन खाद्यानों को हानिकारता के स्तर तक पहुंचा दिया है। ऐसी स्थिति में भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान परम्परागत उन खाद्य पदार्थों की तरफ गया है, जिनकी जैविक संरचना में कोई फेर बदल नहीं किया गया है और जो अभी भी मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैै। प्रस्तुत शोध अध्ययन का विषय कौणी एक ऐसा ही खाद्यान्न है जो मोटे अनाज के रूप में अपनी पौष्टिकता और गुणवत्ता के लिए विख्यात रहा है। यह जिन कारणों से मुख्य खाद्य श्रृंखला से उपेक्षित हुआ और जिन उपायों से इसको प्रतिष्ठित किया जा सकता है, प्रस्तुत शोध अध्ययन में इस पर प्रकाश डाला गया है।