International Journal of Home Science
2022, VOL. 8 ISSUE 2, PART B
विद्यालय जाने से पूर्व बच्चों (1-3 वर्ष) में कुपोषण का प्रभाव
Author(s): रूपेन्द्रेे कौर
Abstract:
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों को देख कर लगाया जा सकता है। हमारे बच्चों के विकास और उनकी संमृद्धि में विशेष रूप से विद्यालय जाने से पूर्व की आयु से उपलब्ध कराए गए संपोषण से है। विद्यालय जाने से पूर्व की आयु 1-3 वर्ष तक का होता है। इस अवस्था में वृद्धि प्रथम वर्ष से होती है। इस समय शिशु शैशवावस्था को छोड़कर बाल्यावस्था में प्रवेश करता है। भोजन को हम दो भागों में रखते है। पहले वर्ग में सुपोषण एवं दूसरे वर्ग में कुपोषण । सुपोषण जिसे हम उचित पोषण भी कह सकते है। पोषण की स्थिति वह होती है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य रहता है। आहार एवं पोषण विज्ञान के प्रमुख कार्यकर्त्ता ‘‘मेकासन‘‘ ने कहा है कि ‘‘भारत के विकास की राह में कुपोषण एक बड़ी बाधा है। विकासशील देशों में कुपोषण का कारण है बहुत कम भोजन उपलब्ध होना आहार में विटामिन की कमी, रक्तहीनता तथा रोगों की दर में वृद्धि है‘‘। वर्त्तमान अध्ययन हजारीबाग जिले में बच्चों में हो रहे कुपोषण के कारणों एवं उनके प्रभाव को को जानना है। देश में बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी, और कोविड-19, जैसी महामारी के कारण कुपोषण का कहर चारों ओर दिखाई दे रहा है। इस लिए जिले में हजारीबाग में कुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक करना आवष्यक है।। अतः इस अध्ययन का उद्देश्य हजारीबाग जिले में बच्चों में हो रहे कुपोषण के कारणों एवं उनके प्रभाव को को जानना है। जिसके लिए विभिन्न आय वर्ग के 240 बच्चो का अघ्ययन के लिए च्यनित करके, बच्चों के आहार एवं पोषण एवं में हो रहे कुपोषण के प्रभाव का अध्ययन किया गया। बच्चों के आहार एवं पोषण एवं में हो रहे कुपोषण के प्रभाव का अध्ययन के लिए संबंधित विषसो पे प्रष्नावली एवं अनुसूची बनाकर जानकारियां प्राप्त की गई।
How to cite this article:
रूपेन्द्रेे कौर. विद्यालय जाने से पूर्व बच्चों (1-3 वर्ष) में कुपोषण का प्रभाव. Int J Home Sci 2022;8(2):97-98.