2022, VOL. 8 ISSUE 2, PART B
Abstract:à¤à¥‹à¤œà¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और पोषण के बीच गहरा पारसà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हैं। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹à¤µà¥€à¤‚ सदी के आते-आते आहार के पोषक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में चिनà¥à¤¤à¤¨ होना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो चà¥à¤•à¤¾ था। बीसवीं सदी के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही पोषण के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शोधकारà¥à¤¯ होने लगे थे। सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® शरीर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• कारà¥à¤²à¤µà¥‹à¤¯à¤¹ ने शरीर के लिठपà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤ˆà¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿ 'व' वसा के महतà¥à¤¤à¥à¤µ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला था। उसके बाद से आज तक आहार à¤à¤µà¤‚ पोषण के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अतिमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शोध कारà¥à¤¯ हà¥à¤à¥¤
à¤à¥‹à¤œà¤¨ मानव जीवन की मूलà¤à¥‚त आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। हर à¤à¤• उमà¥à¤° में हर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ आहार की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। उचित पोषण के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कि शरीर की आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• और बाहà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤ सचारू रूप से कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² रहती हैं। उचित पोषण दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शरीर का उतà¥à¤¤à¤® विकास होता है। असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और पेशियाठपूषà¥à¤Ÿ रहती हैं। आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤ उतà¥à¤¤à¤® ढंग से कारà¥à¤¯ रहते हैं। दाà¤à¤¤ तथा मसà¥à¤¢à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ रहते हैं। बाल तà¥à¤µà¤šà¤¾ में चमक रहती है। आà¤à¤–ें कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ होती है तथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ में मानसिक और संवेगातà¥à¤®à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ और संतà¥à¤²à¤¨ रहता है। कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ पोषण की वह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जिसमें à¤à¥‹à¤œà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ के गà¥à¤£ और परिमाण में अपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ आहार के आà¤à¤¾à¤µ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ का शिकार हो जाता है।