2022, VOL. 8 ISSUE 1, PART E
Abstract:पोषण सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ को मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के शà¥à¤°à¥‚आत से ही देखा जाता रहा है। किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ के लिठपोषण जरूरी है, लेकिन उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरी है कि संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ पोषण कैसे हो? पोषण सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का मतलब यह à¤à¥€ है कि किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने जीवन चकà¥à¤° में à¤à¤¸à¥‡ पोषक ततà¥â€à¤µ विविधता पूरà¥à¤£ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में पहà¥à¤à¤š सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ होना जिसमें जरूरी कारà¥à¤¬à¥‹à¤¹à¤¾à¤ˆà¤¡à¥à¤°à¥‡à¤Ÿ, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, वसा, सूकà¥à¤·à¥à¤® पोषण ततà¥à¤µ की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ हो। इन ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ की आपूरà¥à¤¤à¤¿ अलग-अलग तरह के अनाजों, दालों, तेल, दूध, अणà¥à¤¡à¥‡, सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और फलों से होती है, इसलिठइनकी उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ और वहन करने की परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बननी चाहिये। इसी तारतमà¥à¤¯ के साथ पीने के साफ पानी की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ à¤à¥€ जरूरी है।
विà¤à¤¿à¤¨à¥â€à¤¨ अवसà¥â€à¤¥à¤¾à¤“ं में माता à¤à¤µà¤‚ बचà¥â€à¤šà¥‹à¤‚ के लिठपोषण कितना जरूरी है इसे देश की मौजूदा परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से समà¤à¤¾ जा सकता है। जितनी ताकत अनà¥à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने में है, उतनी ही ताकत अनà¥à¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने में à¤à¥€ है। अनà¥à¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने की ताकत से पूरे देश में हलचल पैदा हो सकती है। बहरहाल अनà¥à¤¨ का नाता मानव संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿-सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की शà¥à¤°à¥‚आत से ही है। जैसे-जैसे संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤·à¥à¤Ÿ होती रही है वैसे-वैसे ही अनà¥à¤¨, à¤à¥‹à¤œà¤¨, पोषण में à¤à¥€ कई सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर बेहतर होते जाने की कवायद चलती रही है।