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2019, VOL. 5 ISSUE 3, PART C

स्वयं सहायता समूह का आत्मनिर्भरता से सम्बन्ध

Author(s): à¤°à¥‡à¤–ा, अजरा अजाज, नीलमा कुँवर
Abstract:
आमतौर पर गरीब लोगों को विशेषकर महिलाओं को आपात स्थिति में पैसों की जरूरत पड़ने पर कई बार अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ता है। प्रायः छोटी-मोटी आवश्यकताओं के लिए मात्र कुछ रूपये का ऋण बार-बार लेना पड़ता है। ये आवश्यकताएं - बीमारी, शादी-ब्याह, मृत्यु भोज, पशु क्रय, गृह निर्माण, बच्चों की पढ़ाई, कृषि एवं भूमि सुधार के लिए, घर चलाने के लिए, ऋण से मुक्ति के लिए रिश्वत देने के लिए, सामाजिक रस्मों के लिए भौतिक सुविधाओं एवं अन्य ऐसी ही छोटी-मोटी आवश्यकतायें आदि हैं जो कि अधिकांशतः उपभोग के लिए होती हैं। इतनी छोटी राशि के उपभोग के लिए ऋण बैंकों द्वारा गरीबों को नहीं उपलब्ध कराया जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। मित्रों एवं संबंधियों से ऋण न मिलने पर गरीब लोग साहूकारों से ऋण लेने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में साहूकार गरीबों की दयनीय स्थिति का भरपूर फायदा उठाते हुए न केवल उनका आर्थिक शोषण करते हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक शोषण भी करते हैं। इस प्रकार के शोषण का शिकार सबसे ज्यादातर महिलायें ही होती हैं। इस समस्या का हल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाकर किया जा सकता है। जब तक वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर नहीं होतीं तब तक समानता और सशक्तिकरण की सदिच्छा का कोई अर्थ नहीं होगा। यही कारण है कि भारतीय संविधान में लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म करने की घोषणा के बावजूद स्त्रियां दोयम दर्जे की नागरिक बनी हुई हैं। इस स्थिति में गुणात्मक बदलाव के लिए स्वयं सहायता समूह की पहल स्वागत योग्य है। महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता लाने में स्वयं सहायता समूह कारगर हो सकते हैं।
Pages: 141-143  |  233 Views  64 Downloads
How to cite this article:
रेखा, अजरा अजाज, नीलमा कुँवर. स्वयं सहायता समूह का आत्मनिर्भरता से सम्बन्ध. Int J Home Sci 2019;5(3):141-143.

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