International Journal of Home Science
2019, VOL. 5 ISSUE 2, PART G
अनुसूचित जाति में लैंगिक असमानता के परिप्रेक्ष्य में कन्या भ्रूण हत्या
Author(s): दिलीप कुमार ठाकुर, डाॅ. कन्हैया चैधरी
Abstract:
किसी भी राष्ट्र के निर्माण में महिलाएँ एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य में उसकी भावी पीढ़ी का प्रारम्भिक सरोकार एक महिला से ही होता है। इसलिए इनका अच्छा निर्माण भी महिलाओं के हाथों में ही होता है। वैसे तो सदियों से ही हमारा देश नारियों की महता से अवगत रहा है। किन्तु यह घोर विडम्बना है कि राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद महिलाएँ भारतीय संविधान में आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का पूर्ण प्रयोग कर अपनी स्थिति में बदलाव लाने में असमर्थ हैं। इसका मुख्य कारण महिलाओं का पर्याप्त शिक्षित न होना तथा आत्मनिर्भरता की कमी है। भारत में प्राथमिक शिक्षा की एक रिर्पोट के अनुसार 100 लड़कियों में से सिर्फ 40 लड़कियाँ ही पाँचवी कक्षा तक पहुँचती हैं। यह स्थिति अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जातियों में ज्यादा देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण माता-पिता का अशिक्षित होना, आर्थिक स्थिति का खराब होना, छोटी उम्र में शादी होना तथा लैंगिक विभिन्नता का होना है। हमारे देश के सामाजिक व सांस्कृतिक रिति-रिवाजों में हर कदम पर लैंगिक असमानताएँ देखने को मिलती हैं। हमारे समाज में लड़कियों की भूमिका को विवाह व मातृत्व तक ही सीमित कर दिया जाता है। परिवार की सभी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में अपने जीवन को अर्पित करने वाली महिलाओं की क्षमता का आज तक आंकलन नहीं हो पाया है। समाज के सामने यह एक बहुत बडी चुनौती हैं, क्योंकि वह अपनी सम्पूर्णता को तब तक ग्रहण नहीं कर सकेगा, जब तक कि दुनिया की आधी आबादी को उसके अधिकार, आजादी व सम्मान नहीं मिल जाता। हमारे समाज में कन्या भ्रूण-हत्या, महिलाओं के प्रति यौन हिंसा और दहेज जैसी बुराइयों के होते लैंगिक समानता संभव नहीं है।
How to cite this article:
दिलीप कुमार ठाकुर, डाॅ. कन्हैया चैधरी. अनुसूचित जाति में लैंगिक असमानता के परिप्रेक्ष्य में कन्या भ्रूण हत्या. Int J Home Sci 2019;5(2):406-408.