International Journal of Home Science
2018, VOL. 4 ISSUE 2, PART A
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महिलाओं में परिधान के बदलते परिदृशà¥à¤¯: à¤à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£
Author(s): डॉ. राखी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract:
हजारों साल पहले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में महिलाà¤à¤ शरीर के ऊपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ में कपड़े नहीं पहनती थी| बाद में महिलाà¤à¤ à¤à¤• लंबे वसà¥à¤¤à¥à¤° से शरीर को à¥à¤•à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की जिसे वो धोती का नाम देती थी जिसने समय के साथ साड़ी का रूप ले लिया| लेकिन तब à¤à¥€ बà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤œ का चलन नहीं था| सबसे पहले बंगाली महिलाओं ने बà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤œ-पेटीकोट का चलन शà¥à¤°à¥‚ किया| धीरे-धीरे बाद में वें अपने पहनने-ओà¥à¤¨à¥‡ में बदलाव कर इस तरह पोशाक को पहनना शà¥à¤°à¥‚ कि जिससे उनके शरीर का कोई हिसà¥à¤¸à¤¾ दिखाई न दे| पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से मेरा तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में आते-आते महिलाà¤à¤ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की सीà¥à¥€ चॠकर अपने शरीर को पूरी तरह à¥à¤• ली किनà¥à¤¤à¥ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल में कदम रखते-रखते फिर से पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल के समान अपने शरीर को रखना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दी है
How to cite this article:
डॉ. राखी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महिलाओं में परिधान के बदलते परिदृशà¥à¤¯: à¤à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£. Int J Home Sci 2018;4(2):42-44.