International Journal of Home Science
2025, VOL. 11 ISSUE 2, PART F
बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में गृहविज्ञान विषय का योगदान
Author(s): मनीषा कुमारी
Abstract:
गृह विज्ञान विषय महिलाओ के लिए विशेष रूप सेतैयार किया गया है, अथवा इसके विषय क्षेत्र को महिलाओ ने भली भांति अपने जीवन में समाहित कर लिया है। यू तो गृहविज्ञान विषय 1932 में लेडी इरविन कोलेज दिल्ली में शुरू की गई जबकि 1982 में राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना की गयी। बिहार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत कॉलेजो में गृह विज्ञान विषय की पढ़ाई कला एवं विज्ञान संकाय में होती है। इसके अलावे यह विषय अशिक्षित लोगों के लिए भी प्रसार शिक्षा अनौपचारिक, रूप से रोजगार एवं स्वरोजगार से संबंध रखता है | खास कर महिलाए आहार व्यवस्था, बाल देखभाल एवं स्वास्थ्य, गृह साजसज्जा, वस्त्रो का संरक्षण आदि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपयोग में लाती है। महिलाएं निंजी (पारिवारिक एवं सार्वजनिक क्षेत्र दोनो में योगदान देकर देश के आर्थिक सुधार में भाग ले रही है फिर भी उनका काम श्रमिक सांख्यिकी रिपोर्ट में शामिल नहीं होता । गृह विज्ञान विषय से स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राए न केवल सरकारी या गैर सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करते है बल्कि डायटिशियन, बालविकास परियोजना पदाधिकारी, फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर, ड्रेस डिजाइनर, आदि पद एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। बिहार राज्य में NIN एवं CFTRI जैसी संस्थान की कोई ब्रांच नहीं है। निफ्ट पटना के छात्रों का अधिकतम पैकेज लगभग 16 लाख प्रति वर्ष प्राप्त करते है। अन्य शैक्षणिक संस्थानो से डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त छात्र छात्राए 3 से 5 लाख प्रतिवर्ष आय प्राप्त करते हैं। मारथा सी. नुसवाम के अनुसार महिलाए दिन भर घरेलू एवं स्वरोजगार दोहरे कार्यभार में व्यस्त रहती है, सारा दिन शारीरिक रूप से थकने के बाद आराम से वंचित रहती है। उन्हें अपनी क्षमताके विकास के लिए दो विकल्पो-पारिवारिक दायित्व तथा कैरियर निर्माण में से एक चुनाव का अवसर नहीं मिलता ऐसे विषम एंव दोहरे मानदंडों में गृह विज्ञान विषय कड़ी बनकर सामंजस्य स्थापित करता है तथा बिहार जैसे पिछड़े राज्य की सामाजिक एवं आर्थिकविकास में भागीदारी सुनिश्चित करती है|
How to cite this article:
मनीषा कुमारी. बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में गृहविज्ञान विषय का योगदान. Int J Home Sci 2025;11(2):423-428. DOI:
10.22271/23957476.2025.v11.i2f.1897