2025, VOL. 11 ISSUE 2, PART C
गृह विज्ञान: सामाजिक सशक्तिकरण का एक माध्यम
Author(s): प्रदीप चौधरी
Abstract:
गृह विज्ञान एक अंतः विषयक एवं बहु-आयामी अध्ययन क्षेत्र है, जिसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। यह विषय न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक विकास एवं सशक्तिकरण के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली है। इसमें पोषण विज्ञान, वस्त्र निर्माण, संसाधन प्रबंधन, बाल विकास, आवासीय प्रबंधन एवं सामाजिक विस्तार शिक्षा जैसे प्रमुख घटक सम्मिलित हैं। इन सभी पहलुओं का समन्वय व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक विकास में सहयोग करता है। गृह विज्ञान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल ज्ञान का संप्रेषण नहीं करता, बल्कि ज्ञान के व्यावहारिक उपयोग पर बल देता है। इस शोध का उद्देश्य गृह विज्ञान की भूमिका को सामाजिक सशक्तिकरण, विशेषतः महिलाओं के सशक्तिकरण के परिप्रेक्ष्य में समझना है। भारत जैसे विकासशील देश में, जहां महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक आत्मनिर्भरता में अभी भी असमानता मौजूद है, गृह विज्ञान एक सशक्त माध्यम बनकर उभर सकता है। अध्ययन दर्शाता है कि जब महिलाएं गृह विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता प्राप्त करती हैं, तो वे न केवल अपने परिवार के लिए बेहतर निर्णय लेती हैं, बल्कि समाज में नेतृत्व की भूमिका भी निभाती हैं। वे पोषण, वस्त्र, स्वच्छता, संसाधनों के प्रबंधन और बाल विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय योगदान देती हैं। शोध कार्य में साहित्यिक समीक्षा पद्धति अपनाई गई है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध लेख, रिपोर्टें, शासकीय योजनाएँ एवं नीति-पत्रों का अध्ययन किया गया। यह विश्लेषण इस निष्कर्ष की ओर इंगित करता है कि गृह विज्ञान एक ऐसा अनुशासन है जो व्यक्ति की आंतरिक क्षमताओं को पहचान कर उन्हें व्यावहारिक दक्षताओं में रूपांतरित करने में सहायक है। इसके माध्यम से सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और समावेशी विकास जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि यदि गृह विज्ञान को विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य विषय के रूप में सम्मिलित किया जाए, तो यह न केवल महिलाओं बल्कि संपूर्ण समाज के लिए एक सशक्त साधन बन सकता है। साथ ही, इसके माध्यम से स्व-रोजगार, उद्यमिता एवं आर्थिक स्वतंत्रता के नए अवसरों का सृजन भी किया जा सकता है। गृह विज्ञान का प्रभाव केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के सामूहिक विकास और राष्ट्रीय प्रगति के मार्ग को भी प्रशस्त करता है।