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2023, VOL. 9 ISSUE 3, PART D

किशोरियों के जीवन पर समकक्ष प्रतिस्पर्धा तथा उनके दबाव के प्रभाव पर एक अध्ययन

Author(s): Alka Rani and Punam Kumari
Abstract:
किशोरावस्था के दौरान किशोरियों का समाजिक, सज्ञात्मक व भावनात्मक विकास अपने अंतिम पड़ाव पर होती है। जिस कारण इनको मनोस्थिति विचलित होती रहती है। अर्थात् जैसे-जैसे उनकी आयु बढ़ती जाती है वह संासारिक सुविधाओं की ओर आकर्षित होती जाती है। जिसके लिए वह हर संभव निरन्तर प्रयास करती है। जिसमें उनके समकक्ष प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अहम भूमिका निभाती है। चूँकि इस अवस्था के दौरान किशोरियाँ अपना अधिकांश समय दोस्तों के समूह में गुजारती है। इसलिए वह अपने कार्यो व व्यहवार को दोस्तों के समान या उनसे वेहतर करने का प्रयास करती हैं। जिससे उनके मन में साथियों के प्रतिस्पर्धा विकसित होती जाती है। आज किशोरियाँ हर क्षेत्र में अपने समकक्षों से प्रतिस्पर्धा करती है, जिससे उनकी जीवनशैली काफी हद तक प्रभावित होने लगी है। इस प्रभाव को समझने हेतु इस शोध पत्र का उद्देश्य-किषोरियों के जीवन में समकक्ष प्रतिस्पर्धा तथा उनके दबाव का प्रभाव का अध्ययन करना था। जिसे पटना शहर के कंकड़बाग कलाॅनी क्षेत्र के 15-18 वर्ष की 50 किशोरियों को उद्देश्यपूर्ण सह-आकस्मिक पद्धति द्वारा अध्ययन किया गया। जिसमें आँकड़ों को संग्रह के लिए किशारियों तथा उनके दोस्तों को चयनित कर व्यवहार का अवलोकन किया गया साथ ही उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्वरचित अनुसूची का प्रयोग किया गया। जिससे प्राप्त आँकड़ों से ज्ञात हुआ कि 48 प्रतिशत किशोरियों को समूह में रहना पसंद है। जिसके लिए समूह के दबाव को भी सहन करती है। वहीं 42 प्रतिशत किशोंरियाँ अपने दोस्तों के कार्य व व्यवहार से अधिक से अधिक प्रभावित होती है, जिस कारण दोस्तों से प्रतिस्पर्धा करती है। आँकड़ों से यह भी ज्ञात हुआ कि 26 प्रतिशत किशोरियाँ आधुनिक तकनीक के उपयोग के मामले में प्रतिस्पर्धा करती है, वहीं 32 प्रतिशत किशोरियाँ खुद को समूह विशेष बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करती हैं। प्रतिस्पर्धा के कारण 52 प्रतिशत किशोरियाँ मांसिक तनाव जैसी स्वास्थ्य समस्या के शिकार हो रही हैं। निष्कर्षत् यह स्पष्ट होता है कि जहाँ एक ओर प्रतिस्पर्धा की क्रिया किशोरियों के लक्ष्य प्राप्ति करने के लिए निरन्तर प्रयास करने के प्रति प्रेरित करती है, वहीं दूसरी ओर साथियों के प्रति ईस्या, क्रोध, निंदा व नीचे दिखाने की भावना उनमें विकसीत होती है। अर्थात् किशोरियों के जीवन को समकक्ष प्रतिस्पर्धा सकारात्मक व नकारात्मक दोनो दृष्टि से प्रभावित करती है।
Pages: 281-283  |  90 Views  48 Downloads


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How to cite this article:
Alka Rani, Punam Kumari. किशोरियों के जीवन पर समकक्ष प्रतिस्पर्धा तथा उनके दबाव के प्रभाव पर एक अध्ययन. Int J Home Sci 2023;9(3):281-283.

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