2023, VOL. 9 ISSUE 1, PART A
Abstract:परिधान जिसे पहनावा à¤à¥€ कहते हैं, à¤à¤¸à¥‡ वसà¥à¤¤à¥à¤° हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शरीर पर पहना जाता हैं। यह कपड़े जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ तक ही सीमित हैं और लगà¤à¤— सà¤à¥€ मानव समाजों की विशेषता हैं। परिधान का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शरीर के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, सामाजिक और à¤à¥Œà¤—ोलिक विचारों पर निरà¥à¤à¤° करते हैं। कà¥à¤› à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जातीयता, à¤à¥‚गोल, जलवायॠऔर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• परंपराओं के आधार पर à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण किये जाते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• महान विविधता यà¥à¤•à¥à¤¤ देश हैं। यहाठविविध रंगों, फाइबर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कपड़े उपलबà¥à¤§ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में महिलाओं के कपड़े वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• रूप से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होतें है और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, धरà¥à¤® और जलवायॠके साथ आधार पर होते हैं। यह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ धीरे-धीरे पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ की पिछड़ती जा रही हैं। किशोरिया पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो रहे हैं। आपकी वेशà¤à¥‚षा आपके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की à¤à¤• मौन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करती हैं। कपड़े सिरà¥à¤« शरीर ढकने के लिठनहीं पहने जाते बलà¥à¤•à¤¿ परिधान à¤à¤¸à¥‡ हों कि आपका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ निखारें ।