2022, VOL. 8 ISSUE 3, PART E
Abstract:’कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विषेष की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करने के लिये उस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लोगों की आय सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ समà¤à¥€ जाती है। सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विषेष की आय समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रूप में पारिवारिक आय पर निरà¥à¤à¤° होती है। आम तौर पर अधिक आय वाले परिवारों को अधिक विकसित समà¤à¤¾ जाता है जो इस समठपर आधारित है कि अधिक आय का अरà¥à¤¥ है मानवीय आवषà¥à¤¯à¤•ताओं की सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का अधिक होना। जो à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पसंद है उनका पास होना। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण से अधिक आय अपने आप में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ लकà¥à¤·à¥à¤¯ हो सकता है लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विकासषील देष में चितà¥à¤° का दूसरा पहलू नजर आता है अनà¥à¤¯ देषों की तरह यहां à¤à¥€ आय के आधार पर उचà¥à¤š आय वरà¥à¤—, मधà¥à¤¯à¤® आय वरà¥à¤— और निमà¥à¤¨ आय वरà¥à¤— शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से उलà¥à¤²à¥‡à¤–ित है।