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2022, VOL. 8 ISSUE 1, PART C

जनजाति एवं गैर जनजाति किशोरों का सामाजिक, संवेगात्मक नैतिक एवं जीवन मूल्यों का अध्ययन

Author(s): à¤…ल्पा यादव
Abstract:
जनजाति समाज के एक ऐसे अंग हैं जो कि मानव संस्कृति की विभिन्न अवस्था में रहते हैं, और समाज की मुख्य धारा से अलग रहते हैं। इस कारण से अत्यधिक पिछड़े हुए होते हैं। समाज का कर्तव्य है कि समाज का प्रत्येक प्राणी सुखी, सम्पन्न और स्वस्थ जीवन यापन करे। इस हेतु सरकार ने विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनायी। परन्तु आज भी ये योजनाएं उन तक नहीं पहंुच पाती जिससे वर्तमान समय में भी गैर जनजाति किशोरों और जनजाति किशोरों में अत्यधिक अंतर देखने को मिलता है। जिससे किशोर वर्ग पिछड़ा है।
सन् 1991 के जनगणना के अनुसार भारत में आदिवासियों की संख्या 6.758 करोड़ थी। सन 2011 की जनगणना में आदिवासियों की कुल संख्या 10 करोड़ से अधिक दर्ज की गयी थी। प्रस्तुत शोध में किशोरों के सामाजिक, नैतिक एवं शैक्षिक उपलब्धि वाले जनजातीय तथा गैर जनजातीय किशोरों के मध्य काफी अन्तर पाया गया।
Pages: 137-138  |  356 Views  134 Downloads


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How to cite this article:
अल्पा यादव. जनजाति एवं गैर जनजाति किशोरों का सामाजिक, संवेगात्मक नैतिक एवं जीवन मूल्यों का अध्ययन. Int J Home Sci 2022;8(1):137-138.

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