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2021, VOL. 7 ISSUE 3, PART A

बाल विकास की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

Author(s): रूबी कुमारी साह
Abstract:
एक ही अभिभावक के दो बच्चों में शारीरिक, सामाजिक, संवेगात्मक, भावात्मक/भावनात्मक भाषायी एवं ज्ञानात्मक क्षमता में अंतर होता है क्‍योकि ये सब बालक/बालिका के बचपन के अलग-अलग अनुभवों से प्रभावित होते हैं। बाल-विकास का संबंध बालक/बालिका के व्यवहार में समय के साथ होने वाले परिवर्तनों से है तथा ये परिवर्तन क्यों और कैसे होते हैं, बाल विकास का संबंध बच्चों की उस वृद्धि और व्यवहार से है जिसका प्रभाव उनके सम्पूर्ण जीवन काल पर पड़ता है। विकास शब्द का प्रयोग व्यक्ति की उन शारीरिक और व्यावहारिक विशेषताओं में परिवर्तन के लिए किया जाता है जो कि क्रमानुसार उभरते है जिसमें निरंतर प्रगति होती है। क्रम के प्रत्येक चरण पूर्व चरण पर आधारित होता है। शरीर के आकार में बढ़ने को वृद्धि कहा जाता है। जो मापा जा सकता है वृद्धि मात्रात्मक होती है एवं विकास गुणात्मक।
Pages: 39-44  |  310 Views  573 Downloads
How to cite this article:
रूबी कुमारी साह. बाल विकास की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि. Int J Home Sci 2021;7(3):39-44.

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