2019, VOL. 5 ISSUE 3, PART E
Abstract:किशोर के जीवन में भावनात्मक विकास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भावनात्मक विकास के कारण कभी-कभी व्यक्ति इतना प्रेरित हो जाता है कि वह जाति, धर्म, देश और मानवता के लिए बड़े-बड़े कार्य करने के लिए तत्पर हो जाता है और ऐसे कार्यों को कर भी जाता है। ‘Emotion’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द Emover से लिया गया है, जिसका अर्थ Out या To Move अर्थात् भड़क उठना या उद्दीप्त होना है। संवेग भाव (Feeling) के अति निकट होने के कारण जब कभी भी भाव की मात्रा बढ़ती है तब शरीर उद्दीप्त हो जाता है और उद्दीप्त अवस्था को ही संवेग (भय, क्रोध, प्रेम, ईर्ष्या, जिज्ञासा, चिन्ता, दुःख, शर्म आदि) कहते हैं। भावनात्मक विकास के सम्बन्ध में कुछ अधिक कहने से पूर्व यह आवश्यक है कि इसके अर्थ को समझ लिया जाय। संवेग के अर्थ को स्पष्ट करते हुए आइजेनक और उनके साथियों (1972) ने लिखा हैं कि अधिकांश विद्वान इस बात से सहमत हैं कि संवेग वह जटिल अवस्था है जिसमें व्यक्ति किसी वस्तु या परिस्थिति को अधिक बढ़ा हुआ प्रत्यक्षीकरण करता है, इसमें बड़े स्तर पर शारीरिक परिवर्तन होते हैं, इसमें व्यक्ति का व्यवहार Approach या Withdrawal की ओर संगठित होता है तथा अनुभूति आकर्षण या प्रतिकर्षण की सूचना देता है।