International Journal of Home Science
2019, VOL. 5 ISSUE 3, PART C
बाल श्रमिकों की कार्य दशाओं का स्वास्थ्य स्तर पर प्रभाव
Author(s): गुंजन दुबे, कामिनी जैन, नीलमा कुँवर
Abstract:
किसी देश के बालकों की अच्छी अथवा बुरी दशा ही वहाँ के सांस्कृतिक स्तर का सबसे विश्वसनीय मापदंड होता है। बालक मानव जीवन की नींव है। बालक रूपी बीज से ही मानव वृक्ष का निर्माण होता है। यदि किसी समाज में बालक उपेक्षित अथवा तिरस्कृत है अथवा ज्यों ही उनमें कार्य करने की थाड़ी सी भी शक्ति आती है, त्यों ही उन्हें कठोर कार्यों के कोल्हुओं में जुटना पड़ता है, तो शक्ति का ऐसा दुरूपयोग, उस समाज के सांस्कृतिक दृष्टि से पिछड़े होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके विपरीत यदि किसी देश में बालकों को विशेष स्थान प्राप्त है तथा वहां उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिए समस्त संभव प्रयत्न किए जाते हैं तो वह समाज सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत समझा जायेगा।
How to cite this article:
गुंजन दुबे, कामिनी जैन, नीलमा कुँवर. बाल श्रमिकों की कार्य दशाओं का स्वास्थ्य स्तर पर प्रभाव. Int J Home Sci 2019;5(3):130-132.