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2019, VOL. 5 ISSUE 1, PART B

बालक के नैतिक विकास पर मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव

Author(s): à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¥€ मधुर माला एवं नीलमा कुँवर
Abstract:
समाज के नियमों, मान्यताओं और अपेक्षाओं के अनुरूप किया गया आचरण ही नैतिक व्यवहार है जो व्यक्ति अपनी सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप आचरण करता है, वह नैतिकता की संज्ञा पाता है। नैतिकता का संप्रत्यय, एक सापेक्ष संप्रत्यय है और समाज एवं संस्कृति के संदर्भ में ही इसकी व्याख्या की जा सकती है। नैतिक व्यवहार जन्मजात नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक परिवेश से अर्जित किया जाता है। यद्यपि बालक बाह्य स्रोतों द्वारा नैतिकता का प्रत्यय ग्रहण करता है तथापि जब नैतिक व्यवहार के बाह्य स्रोत समाप्त हो जाते हैं और बालक आंतरिक विवेक द्वारा प्रेरित होकर नैतिक बनने का प्रयास करता है, तब उसके अंतर्मन में वास्तविक नैतिकता का विकास होता है।
Pages: 65-66  |  343 Views  86 Downloads
How to cite this article:
लक्ष्मी मधुर माला एवं नीलमा कुँवर. बालक के नैतिक विकास पर मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव. Int J Home Sci 2019;5(1):65-66.

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